Sunday, February 14, 2016

जीना

तू गुज़रे कल की बात ना कर

आने वाले कल की बात कर

सँवर जाएगा मुकद्दर

वक़्त को हमसफ़र बना के चल

तस्वीर फ़िर रंग जायेगी

महफ़िल क़ामयाबी की जब सज जायेगी

माना जो गुज़र गया वो अपना ना था

पर आनेवाला जो सपना था

वही एक पल तो अपना था

क़वायद इसलिए जिंदगी की तू सीख ले

कल के बदले आज में जीना सीख ले

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