किश्तों में जिंदगी जीना हमने छोड़ दी
लकीरें हाथों की हमनें मोड़ दी
देख जज्बे को
ख़फ़ा रहने वाली क़िस्मत भी खिलखिला उठी
फ़ैसला मुक़दर का अपने था
धारा जिंदगी की हमने मोड़ दी
वंचित रह न जाए जिंदगानी कही
फ़िज़ों में खुशबू हमने बिखेर दी
झुक गया आसमां भी
जिन्दा रहने की क़वायद जब हमने सीख ली
किश्तों में जिंदगी जीना हमने छोड़ दी
लकीरें हाथों की हमनें मोड़ दी
किश्तों में जिंदगी जीना हमने छोड़ दी
लकीरें हाथों की हमनें मोड़ दी
देख जज्बे को
ख़फ़ा रहने वाली क़िस्मत भी खिलखिला उठी
फ़ैसला मुक़दर का अपने था
धारा जिंदगी की हमने मोड़ दी
वंचित रह न जाए जिंदगानी कही
फ़िज़ों में खुशबू हमने बिखेर दी
झुक गया आसमां भी
जिन्दा रहने की क़वायद जब हमने सीख ली
किश्तों में जिंदगी जीना हमने छोड़ दी
लकीरें हाथों की हमनें मोड़ दी
किश्तों में जिंदगी जीना हमने छोड़ दी