जो तू ग़ज़ल ना होती मेरी
शायद मैं भी तब शायर ना होता
अंदाज़ ए शोखियों पे तेरी
कलमा कोई ना पढ़ रहा होता
रूह जो तू ना होती इस शायर की
ख़लिश शायरी मुक़म्मल ना होती
मिली जब से जिंदगानी तेरी
इबादत बन गयी तू मेरी
कबूल हो गयी जैसे फ़रियाद कोई
शायद इसिलये
खुदा बन गयी चाहत तेरी
खुदा बन गयी चाहत तेरी
शायद मैं भी तब शायर ना होता
अंदाज़ ए शोखियों पे तेरी
कलमा कोई ना पढ़ रहा होता
रूह जो तू ना होती इस शायर की
ख़लिश शायरी मुक़म्मल ना होती
मिली जब से जिंदगानी तेरी
इबादत बन गयी तू मेरी
कबूल हो गयी जैसे फ़रियाद कोई
शायद इसिलये
खुदा बन गयी चाहत तेरी
खुदा बन गयी चाहत तेरी
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