बदल जाती है फ़िज़ाओं की राग
शायराना होता हैं जब अंदाज़
व्यार जो फ़िर बहती हैं
निखार इंद्रधनुषी घटा सा लिए आती हैं
हर एक कलमा जैसे संग अपने
रंगों की ताबीर लिए आती हैं
जैसे बिन सुर बिन ताल ही
सप्त सुरों की रागिनी
मधुर तान लिए आती हैं
ओर फिर
बदल जाती है फ़िज़ाओं की राग
शायराना होता हैं जब अंदाज़
शायराना होता हैं जब अंदाज़
व्यार जो फ़िर बहती हैं
निखार इंद्रधनुषी घटा सा लिए आती हैं
हर एक कलमा जैसे संग अपने
रंगों की ताबीर लिए आती हैं
जैसे बिन सुर बिन ताल ही
सप्त सुरों की रागिनी
मधुर तान लिए आती हैं
ओर फिर
बदल जाती है फ़िज़ाओं की राग
शायराना होता हैं जब अंदाज़
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