उमड़ घुमड़ घटा सुना रही
सावन के गीत
दामन में भर अपने नीर
उड़ चला गगन
बरसाने मेघों के तीर
स्वागत करने बदरी को
छटा बिखेर रही किरणें
बना इंद्रधनुषी तोरण धीर
उमड़ घुमड़ घटा सुना रही
सावन के गीत
सावन के गीत
दामन में भर अपने नीर
उड़ चला गगन
बरसाने मेघों के तीर
स्वागत करने बदरी को
छटा बिखेर रही किरणें
बना इंद्रधनुषी तोरण धीर
उमड़ घुमड़ घटा सुना रही
सावन के गीत
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बृहस्पतिवार (03-09-2015) को "निठल्ला फेरे माला" (चर्चा अंक-2087) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शुक्रिया शास्त्री जी
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