Thursday, July 30, 2015

परिवर्तन

परिवर्तन हैं प्रकृति का रूप

हर रात के बाद हैं

सुबह की धूप

बदलते मौसम के संग

अँगारे बन जाते हैं फूल

ना ही कोई अमर हैं

ना हैं कोई सास्वत

कुदरत का यही हैं उसूल

पन्नों में जिंदगी

जिंदगी में काँटो की सूल

प्रकृति का यही है स्वरूप

परिवर्तन हैं प्रकृति का रूप

परिवर्तन हैं प्रकृति का रूप

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