आवेग हूँ मैं ऐसी
बाँध सके ना जिसे कोय
मझधार से मेरी जो मिले
जुदा ना फ़िर मुझ से होय
जुदा ना फ़िर मुझ से होय
उफ़ान हूँ चरम पे
प्रपात में लिए घनघोर शोर
प्रपात में लिए घनघोर शोर
फ़िर भी
शीतल निर्मल प्रवाह हूँ मैं
स्पर्श आलिंगन से मेरी
नयी चेतना की अनुभूति होय
नयी चेतना की अनुभूति होय
बाँध सके ना जिसे कोय
मझधार से मेरी जो मिले
जुदा ना फ़िर मुझ से होय
जुदा ना फ़िर मुझ से होय
उफ़ान हूँ चरम पे
प्रपात में लिए घनघोर शोर
प्रपात में लिए घनघोर शोर
फ़िर भी
शीतल निर्मल प्रवाह हूँ मैं
स्पर्श आलिंगन से मेरी
नयी चेतना की अनुभूति होय
नयी चेतना की अनुभूति होय
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-06-2015) को "व्यापम और डीमेट घोटाले का डरावना सच" {चर्चा अंक-2048} पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय शास्त्री जी
Deleteमेरी कविता को अपने चर्चा मंच पे स्थान दे हौसला अफजाई के मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ I
सादर
मनोज
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (26-06-2015) को "व्यापम और डीमेट घोटाले का डरावना सच" {चर्चा अंक-2048} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय शास्त्री जी
ReplyDeleteमेरी कविता को अपने चर्चा मंच पे स्थान दे हौसला अफजाई के मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ I
सादर
मनोज