परिवर्तन हैं प्रकृति का रूप
हर रात के बाद हैं
सुबह की धूप
बदलते मौसम के संग
अँगारे बन जाते हैं फूल
ना ही कोई अमर हैं
ना हैं कोई सास्वत
कुदरत का यही हैं उसूल
पन्नों में जिंदगी
जिंदगी में काँटो की सूल
प्रकृति का यही है स्वरूप
परिवर्तन हैं प्रकृति का रूप
परिवर्तन हैं प्रकृति का रूप
हर रात के बाद हैं
सुबह की धूप
बदलते मौसम के संग
अँगारे बन जाते हैं फूल
ना ही कोई अमर हैं
ना हैं कोई सास्वत
कुदरत का यही हैं उसूल
पन्नों में जिंदगी
जिंदगी में काँटो की सूल
प्रकृति का यही है स्वरूप
परिवर्तन हैं प्रकृति का रूप
परिवर्तन हैं प्रकृति का रूप