जुगलबंदी जब मेरी तेरी होगी
प्यार के तरानों की
स्वर लहरियाँ तब गूँजेगी
दिलों की इस जुगलबंदी में
सिर्फ प्रेम गीतों की लड़ियाँ होगी
संगम ऐसा होगा
जैसे स्वर और ताल की कड़ियाँ होगी
मैं और तुम से हम की सुन्दर रचना होगी
एकाकार सरगम की जैसे
सुहानी रिमझिम बरसात होगी
जुगलबंदी जब मेरी तेरी होगी
प्यार के तरानों की
स्वर लहरियाँ तब गूँजेगी
स्वर लहरियाँ तब गूँजेगी
प्यार के तरानों की
स्वर लहरियाँ तब गूँजेगी
दिलों की इस जुगलबंदी में
सिर्फ प्रेम गीतों की लड़ियाँ होगी
संगम ऐसा होगा
जैसे स्वर और ताल की कड़ियाँ होगी
मैं और तुम से हम की सुन्दर रचना होगी
एकाकार सरगम की जैसे
सुहानी रिमझिम बरसात होगी
जुगलबंदी जब मेरी तेरी होगी
प्यार के तरानों की
स्वर लहरियाँ तब गूँजेगी
स्वर लहरियाँ तब गूँजेगी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-05-2015) को "धूप छाँव का मेल जिन्दगी" {चर्चा अंक - 1978} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
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