Friday, May 15, 2015

प्रेम

प्रेम एक अनुभूति हैं

दो आत्माओं के मिलन की जननी हैं

रंग भरे इसमें सारे व्रह्माण्ड के

सृष्टि की यह जननी हैं

अदृस्य चेतना की यह

मर्मस्पर्शी अनुभूति हैं

पिरों बंधन को

झुका दे कायनात सारी

यह वो अनजानी शक्ति हैं

प्रेम अहसास ही जीवन मुक्ति हैं

कण कण में बसती इसके यह हस्ती हैं

छू लिया जिसने इस विधान को

प्रेम रूप की वो मूर्ति हैं

प्रेम रूप की वो मूर्ति हैं

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