खबर ना तेरे आने की थी
ना जाने की थी
हम तो आहटों पे
कान लगाये बैठे थे
पदचाप की पर ना कोई सरसराहट थी
सुनने तेरी आहट को
धड़कनें भी खामोश थी
दस्तक तू दे जाये इस दिल में
दुआ खुदा से बस इतनी थी
जिनकी हर अदाओं में कुदरत बरसे
वो कायनात मेरी आरजू थी
साहिल के करीब मंज़िल थी
पर प्यार की कस्ती अब भी कोशों दूर थी
क्योंकि इस दिल को
अब तलक तेरी कोई ना खबर थी
तेरी कोई ना खबर थी
ना जाने की थी
हम तो आहटों पे
कान लगाये बैठे थे
पदचाप की पर ना कोई सरसराहट थी
सुनने तेरी आहट को
धड़कनें भी खामोश थी
दस्तक तू दे जाये इस दिल में
दुआ खुदा से बस इतनी थी
जिनकी हर अदाओं में कुदरत बरसे
वो कायनात मेरी आरजू थी
साहिल के करीब मंज़िल थी
पर प्यार की कस्ती अब भी कोशों दूर थी
क्योंकि इस दिल को
अब तलक तेरी कोई ना खबर थी
तेरी कोई ना खबर थी
No comments:
Post a Comment