Wednesday, March 4, 2015

मेरी बिटिया

खुदा  का नूर है तू

मेरी बगियाँ का फूल है तू

सागर सी चंचल है तू

मेरे आँगन की शोभा है तू

राधा की मूरत है तू

इनसे बढ़कर

मेरा गरूर है तू

और

कभी रंगो में रंगी

कभी रागों में सजी

मेरी राग रागिनी है तू

मेरी बिटिया रागिनी है तू

Monday, March 2, 2015

खबर

खबर ना तेरे आने की थी

ना जाने की थी

हम तो आहटों पे

कान लगाये बैठे थे

पदचाप की पर ना कोई सरसराहट थी

सुनने तेरी आहट को

धड़कनें भी खामोश थी

दस्तक तू दे जाये इस दिल में

दुआ खुदा से बस इतनी थी

जिनकी हर अदाओं में कुदरत बरसे

वो कायनात मेरी आरजू थी

साहिल के करीब मंज़िल थी

पर प्यार की कस्ती अब भी कोशों दूर थी

क्योंकि इस दिल को

अब तलक तेरी कोई ना खबर थी

तेरी कोई ना खबर थी

आरजू

आरजू बस इतनी सी है की

हर पल रंग बदलती आरजूओं की

आरजू बस अब ओर नहीं

सुलगते अरमानों के शोलों से

जलने की आरजू ओर नहीं

चाहत की चाह में लूटने की

आरजू अब ओर नहीं

नयनों से नयनों के मिलन की

आरजू अब ओर नहीं

चंदा की चाँदनी को खोने की

आरजू अब ओर  नहीं

क्योंकि प्यार भरे दिल

के घरौंदे से निकलने की

आरजू कभी नहीं

इसलिए आरजू बस इतनी सी है

हर पल रंग बदलती आरजुओं की

आरजू बस ओर नहीं