Tuesday, October 7, 2014

उम्मीद

ख़ामोशी से दुनिया अपनी लुटती मैं देखता रहा

मेरी बर्बादी पे वो पागलों की तरह हँसते रहे

वफ़ा के बदले बेवफाई के सितम सहते रहा

दिल के हाथों मजबूर

जज्बातों के आवेग में बहता रहा

पर किस्मत को रास ना आयी ये दोस्ती

एक बेवफा से दिल लगाने की भूल कर बैठा

खिलौना बन कठपुतली की तरह

उसके इशारों पे नाचता रहा

फिर भी बेवफा से वफ़ा की उम्मीद करता रहा

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