अक्सर तन्हाइयों में
मैं खुद से बातें किया करता हूँ
मंजिल की उसका पता पूछा करता हूँ
कुँजी जिसके मेरे अपने पास है
पर लगता है किस्मत मुझसे नाराज है
दिखा सच का आईना
खुद से खुद को रूबरू किया करता हूँ
अक्सर तन्हाइयों में
मैं खुद से बातें किया करता हूँ
मैं खुद से बातें किया करता हूँ
मंजिल की उसका पता पूछा करता हूँ
कुँजी जिसके मेरे अपने पास है
पर लगता है किस्मत मुझसे नाराज है
दिखा सच का आईना
खुद से खुद को रूबरू किया करता हूँ
अक्सर तन्हाइयों में
मैं खुद से बातें किया करता हूँ
अच्छी रचना |' हु' को' हूँ ' करें |
ReplyDelete: महादेव का कोप है या कुछ और ....?
नई पोस्ट माँ है धरती !
महोदय
ReplyDeleteमार्ग दर्शन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद I भविष्य में इसी तरह त्रुटियों की ओर ध्यान आकर्षण करे I