ये दुनियावालों
हम पीनेवालों का महजब ना पूछो
साकी की जात ना पूछो
मयख़ाने की गलियों की बहार ना पूछो
छलकते जामों की लय ताल ना पूछो
भुला दे जो हर गम
लगा लबों से अपने
उस मदिरा की चाल ना पूछो
डूब जाए जिसकी मदहोशी के आलम में
पूछो तो बस उस साकी के घर का पता पूछो
उस साकी के घर का पता पूछो
हम पीनेवालों का महजब ना पूछो
साकी की जात ना पूछो
मयख़ाने की गलियों की बहार ना पूछो
छलकते जामों की लय ताल ना पूछो
भुला दे जो हर गम
लगा लबों से अपने
उस मदिरा की चाल ना पूछो
डूब जाए जिसकी मदहोशी के आलम में
पूछो तो बस उस साकी के घर का पता पूछो
उस साकी के घर का पता पूछो