मयखाने की बयार कि दस्तक सुन
हम साकी की हवा के संग बह चले
क्योंकि मिला ना था खुदा हमें कहीं
न मंदिर में न मस्जिद में
पर चढ़ते ही जिन्नें मदिरालय की
खुल गए बंद कपाट ह्रदय के
थामा मदिरा ने जो आगोश में
हर गम भूला
हम मदहोश होते चले गए
साकी सखी बन जाम छलकाती गयी
और हम पैमानों में आँसू मिला पीते गए
और हम पैमानों में आँसू मिला पीते गए
हम साकी की हवा के संग बह चले
क्योंकि मिला ना था खुदा हमें कहीं
न मंदिर में न मस्जिद में
पर चढ़ते ही जिन्नें मदिरालय की
खुल गए बंद कपाट ह्रदय के
थामा मदिरा ने जो आगोश में
हर गम भूला
हम मदहोश होते चले गए
साकी सखी बन जाम छलकाती गयी
और हम पैमानों में आँसू मिला पीते गए
और हम पैमानों में आँसू मिला पीते गए
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