Sunday, April 13, 2014

LOVE

LET THE DESTINY'S COUPLE MEET AGAIN

ON FULL MOON LIGHT

LET THE TIME STOP HERE

TO COME DREAMS ALIVE

LET THE STARS CREAT

THE RHYTHM OF MUSICAL NIGHT

LET THE SOUL EXCHANGE

SILENCE OF EYES

LET THE HEART HUG N KISS

TO BECOME ONE LIFE

LET THE GOD WITNESS

THE BLOOMING OF LOVE LIFE

Saturday, April 12, 2014

शरारत

मैंने उदासी से कहा

खुद से शरारत करो इतनी

दुनिया चमन बन जायेगी

मुरझाये चहरे के कपोल

फूल से खिल जाएंगे

टूट जाएगा उदासी का तिल्सिम

रंग शरारत के जो भर जाएंगे

खुल  के हँसो खुल के जियो

बंद किस्मत शरारत भरी

चुलबुलाहट से खोल दो

बस अब उदासी का ये आलम छोड़ दो




Friday, April 11, 2014

सखी

मयखाने की बयार कि दस्तक सुन

हम साकी की हवा के संग बह चले

क्योंकि मिला ना था खुदा हमें कहीं

न मंदिर में  न मस्जिद में

पर चढ़ते ही जिन्नें मदिरालय की

खुल गए बंद कपाट ह्रदय के

थामा मदिरा ने जो आगोश में

हर गम भूला

हम मदहोश होते चले गए

साकी सखी बन जाम छलकाती गयी

और हम पैमानों में आँसू मिला पीते गए

और हम पैमानों में आँसू मिला पीते गए

Thursday, April 3, 2014

नयी गाथा

किनारों ने किनारा कर लिया

जज्बातों के आवेग को

कोई सहारा ना रहा

टूटे किनारों को तोड़

प्रलय जो चली आयी

अश्रुओं की तीव्र धाराओं ने

ह्रदय कि

अंतरआत्मा झिंझोर डाली

सैलाब के इस कहर ने

आंसुओ कि नयी गाथा लिख डाली

दूरियों की आगाज

अस्तगामी सूर्य कि लालिमा

कर रही नीले अम्बर को प्रखर

परिंदो का अग्रसर झुण्ड

कर रहा दिव्यमान को मुखर

सांझ कि बेला

ओढ़ घटाओँ कि चुनरिया

कर रही चाँदनी को बेताब

सिमट आये चाँद आगोश में

ओर बुझ जाये दूरियों की आगाज

पितृ रस की गाथा

पितृ सुख से बड़ा ना सुख कोई

परछाई बन साये तले जिसके

पायी जिसने छत्र छाया इसकी

प्रखर बन गयी जिन्दगानी उसकी

प्रेरणा मान अभिमान से

पकड़ी उंगली जिसने पितृ कि

प्रेम सुधा फिर बन गयी

स्नेह भरी

पितृ रस कि वह मधुर गाथा

पितृ रस कि वह मधुर गाथा