पैग़ाम प्यार भरे सपनों का था
साथ मगर उसमें तेरे गीतों का था
हर लफ्जों में जैसे तेरा अक्स था
पैग़ाम ए जैसे तेरे दीदार का आईना था
छिटक रहा था नूर जैसे तेरा कोई
बेताब हो चाँदनी चाँद से मिलने जैसे कही
लगने लगा जैसे
पैग़ाम के बदले खुदा मिल गया हो कोई
साथ मगर उसमें तेरे गीतों का था
हर लफ्जों में जैसे तेरा अक्स था
पैग़ाम ए जैसे तेरे दीदार का आईना था
छिटक रहा था नूर जैसे तेरा कोई
बेताब हो चाँदनी चाँद से मिलने जैसे कही
लगने लगा जैसे
पैग़ाम के बदले खुदा मिल गया हो कोई
सुंदर !
ReplyDeleteधन्यवाद्
Deleteसुंदर मनभावन
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