अफसानों कि महफ़िल सजी है
कुछ मीठे कुछ खट्टे लहमे
चहरे कि मुस्कान बन
आँखों के आंसू बन
थामे यादों के गुलदस्ते
फिर से एक बार चले आये है
छटा महफ़िल कि जैसे निखर आयी है
बुझ ना जाए कही
महफ़िल कि यह हसीन समां
कर आँखे बंद दिल में छुपा लू
प्यारा से ए सुन्दर जज्बा
कुछ मीठे कुछ खट्टे लहमे
चहरे कि मुस्कान बन
आँखों के आंसू बन
थामे यादों के गुलदस्ते
फिर से एक बार चले आये है
छटा महफ़िल कि जैसे निखर आयी है
बुझ ना जाए कही
महफ़िल कि यह हसीन समां
कर आँखे बंद दिल में छुपा लू
प्यारा से ए सुन्दर जज्बा
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