दरख्तों चिनारों से न पूछो उम्र का हाल
कब लील ले इन्हें पता नहीं
लालच में फंसे ये स्वार्थी हाथ
बेबस लाचार है प्रकृति भी आज
किसी तरह बची रहे कुदरत कि आबरू
फरियाद कर रही इसलिए कायनात
विध्वंस हो जायेगी धरती
लग गया जो मेरा श्राप
बस हो सके तो संभाल लो
बचे खुचे दरख्तों चिनार
कब लील ले इन्हें पता नहीं
लालच में फंसे ये स्वार्थी हाथ
बेबस लाचार है प्रकृति भी आज
किसी तरह बची रहे कुदरत कि आबरू
फरियाद कर रही इसलिए कायनात
विध्वंस हो जायेगी धरती
लग गया जो मेरा श्राप
बस हो सके तो संभाल लो
बचे खुचे दरख्तों चिनार
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