मुसाफ़िर हु यहाँ
मंजिल का सफ़र तय करना है
जेहन में संजो रखा जिसे
वृतांत उस परिदृष्य का अविस्मरण्य बने
हर कदम इसलिए संभल कर चलना है
फ़क़ीर हु लकीर का
नामुमकिन कुछ भी नहीं
चलना जब सीख ला दिया संसार ने
चूमने को व्याकुल हो गयी मंजिल को
महत्वकान्छा भरी सपनों कि ए उड़ान फिर
महत्वकान्छा भरी सपनों कि ए उड़ान फिर
मंजिल का सफ़र तय करना है
जेहन में संजो रखा जिसे
वृतांत उस परिदृष्य का अविस्मरण्य बने
हर कदम इसलिए संभल कर चलना है
फ़क़ीर हु लकीर का
नामुमकिन कुछ भी नहीं
चलना जब सीख ला दिया संसार ने
चूमने को व्याकुल हो गयी मंजिल को
महत्वकान्छा भरी सपनों कि ए उड़ान फिर
महत्वकान्छा भरी सपनों कि ए उड़ान फिर
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