कभी कभी यह अहसास होता है
तुम हो
यहीं कहीं मेरे आस पास हो
वो पतों कि सनसनाहट
पैरों कि आहट
हवाओं कि सरसराहट
मधुर बोलों कि गुनगुनाहट
चाँदनी कि झनझनाहट
झांझर कि हिनहिनाहट
मृदंग कि थपथड़ाहट
नयनों कि छटपटाहट
दीवानगी का ये आलम संजोती है
परछाईयों में भी तुम्हें टटोलती है
ख्यालों में भी अक्स तेरा ही बुनती है
कभी कभी दिल को अहसास करा जाती है
तुम हो
यहीं कहीं मेरे आस पास हो
तुम हो
यहीं कहीं मेरे आस पास हो
वो पतों कि सनसनाहट
पैरों कि आहट
हवाओं कि सरसराहट
मधुर बोलों कि गुनगुनाहट
चाँदनी कि झनझनाहट
झांझर कि हिनहिनाहट
मृदंग कि थपथड़ाहट
नयनों कि छटपटाहट
दीवानगी का ये आलम संजोती है
परछाईयों में भी तुम्हें टटोलती है
ख्यालों में भी अक्स तेरा ही बुनती है
कभी कभी दिल को अहसास करा जाती है
तुम हो
यहीं कहीं मेरे आस पास हो
कल 06/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
शुक्रिया
Deleteसुन्दर एहसास
ReplyDeleteशुक्रिया
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