देखो मरघट बन गया संसार
सिसकती जिंदगी पड़ी राहों में
पर करहाहट किसीको सुनाई देती नहीं
मानो अंधो बहरों का शहर हो जैसे कोई
पर रफ़्तार जिंदगी कि कम होती नहीं
लगाम जिंदगी कि जैसे निकल गयी हाथ से
फुर्सत नहीं सहारा दे दे
बेदम हो रही जो जिंदगी आँखों के सामने
जनाजा निकल गया जिंदगानी का
जब बिन कफ़न ही दफ़न हो गयी जिंदगी
इन अंधे बहरों के संसार में
इन अंधे बहरों के संसार में
सिसकती जिंदगी पड़ी राहों में
पर करहाहट किसीको सुनाई देती नहीं
मानो अंधो बहरों का शहर हो जैसे कोई
पर रफ़्तार जिंदगी कि कम होती नहीं
लगाम जिंदगी कि जैसे निकल गयी हाथ से
फुर्सत नहीं सहारा दे दे
बेदम हो रही जो जिंदगी आँखों के सामने
जनाजा निकल गया जिंदगानी का
जब बिन कफ़न ही दफ़न हो गयी जिंदगी
इन अंधे बहरों के संसार में
इन अंधे बहरों के संसार में
बढिया, बहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद महोदय
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