ए अजनबी न जाने क्यों
ए निगाहें हर पल तुम्हें तलाशती है
क्या रूप है जिसको ए निहारती है
वजूद इसका ना जाने कैसे पनपा
नाजुक से इस दिल के कोने में
मुलाकात अब अक्सर होती है
बंद पलकों के झरोकों में
सपनों के इस अनछुए संसार की
जाने कैसी कशिश का
कौन सा पैगाम है ए
अरमानों कि दहलीज़ पर खड़ी निगाहें
करने आलिंगन तुम्हें ए अजनबी
तलाशती दिल कि राहें है
तलाशती दिल कि राहें है
ए निगाहें हर पल तुम्हें तलाशती है
क्या रूप है जिसको ए निहारती है
वजूद इसका ना जाने कैसे पनपा
नाजुक से इस दिल के कोने में
मुलाकात अब अक्सर होती है
बंद पलकों के झरोकों में
सपनों के इस अनछुए संसार की
जाने कैसी कशिश का
कौन सा पैगाम है ए
अरमानों कि दहलीज़ पर खड़ी निगाहें
करने आलिंगन तुम्हें ए अजनबी
तलाशती दिल कि राहें है
तलाशती दिल कि राहें है