Saturday, August 24, 2013

बेखबर

 औ बेखबर तुम्हें खबर भी ना हुई

तुम दर्पण निहारती रही गयी

ओर हम तेरी आँखों से काजल चुरा ले गए

आईना इसके पहले टूट जाए

तुम दिल को अपने जरा संभाल लो

नादानी में कहीं होश ना गँवा बैठो

दर्पण से इसलिए अब तुम किनारा कर लो

निहारना हो अब जब कभी अपने आप को

हमारी आँखों में झाँक लिया करो

अक्स तुम्हे अपना नजर आ जायेगा

तस्वीर का दूसरा पहलू भी समझ आ जायेगा

तस्वीर का दूसरा पहलू भी समझ आ जायेगा

2 comments:


  1. बेखबर , एहसास
    दोनों रचनाएं बहुत सुन्दर है
    latest post आभार !
    latest post देश किधर जा रहा है ?

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया महोदय

      आपकी रचना वाकई बहुत खुबसूरत है

      Delete