आरजू मैंने भी ये की थी
चाहत मुझको भी मिलेगी
नसीब इतना भी बुरा नहीं
की दुओं की फ़रियाद सुनाई नहीं देगी
चौखट से रब की कोई खाली लौटा नहीं
फिर क्यूँ मेरी तक़दीर में चाहत नहीं
कोई शख्स तो आखिर ऐसा होगा
जिसको भी इस नाचीज़ से बेपनाह मोहब्बत होगी
चाहत मुझको भी मिलेगी
नसीब इतना भी बुरा नहीं
की दुओं की फ़रियाद सुनाई नहीं देगी
चौखट से रब की कोई खाली लौटा नहीं
फिर क्यूँ मेरी तक़दीर में चाहत नहीं
कोई शख्स तो आखिर ऐसा होगा
जिसको भी इस नाचीज़ से बेपनाह मोहब्बत होगी
बहुत खूब !
ReplyDeletelatest post,नेताजी कहीन है।
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