तुझसा हसीं कोई मिला नहीं
ज़माने को ये रास आया नहीं
बह गयी हर मर्यादायें
चाहत के इस सैलाब में
चढ़ पाती परवान दोस्ती
छुट गया इससे पहले दामन
हालातों के हिजाब में
नजर लग गयी अपनों की
चाहत के इस इकरार में
इबादत अब कोई शेष बची नहीं
जीवन के इस ठहराव पे
ख़त्म हो गयी जिन्दगी
आंसुओ के सैलाब में
ज़माने को ये रास आया नहीं
बह गयी हर मर्यादायें
चाहत के इस सैलाब में
चढ़ पाती परवान दोस्ती
छुट गया इससे पहले दामन
हालातों के हिजाब में
नजर लग गयी अपनों की
चाहत के इस इकरार में
इबादत अब कोई शेष बची नहीं
जीवन के इस ठहराव पे
ख़त्म हो गयी जिन्दगी
आंसुओ के सैलाब में
ज़िन्दगी ख़त्म नहीं होती.....
ReplyDeleteएक मोड़ होगा...
सुन्दर भाव
अनु
अनु जी
Deleteआप शायद सही कह रही है .
सादर
मनोज
ReplyDeleteयह जिंदगी का एक पड़ाव है -जिंदगी तो चलती रहेगी
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post परिणय की ४0 वीं वर्षगाँठ !
सर आपके अमूल्य सुझावों का स्वागत
Deleteसादर
मनोज
आपने लिखा....हमने पढ़ा
ReplyDeleteऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 23/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
शुक्रिया
Deleteसुंदर और बढ़िया
ReplyDeletebehtreen....
ReplyDeleteहौसला अफजाई के शुक्रिया
Deleteसुन्दर अभिवयक्ति .
ReplyDeleteशुक्रिया सर
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