वो गुमनाम थी
मैं बदनाम था
डोर फिर भी एक बंधी थी
कसूर निगाहों का ना था
बात दिल की क्योंकि
उसके गालों के तिल में थी
जुबाँ भी साथ दे ना पाती थी
बस तितलियों सी मंडराती
वो इस दिल जले को ओर जला जाती थी
खूबसूरती की वो मिशाल थी
फिर भी वो गुमनाम थी
क्योंकि घूँघट उसकी शान थी
पर इस दिल की गलियाँ
उसके इश्क में बदनाम थी
ओर वो इन खबरों से भी अनजान थी
आखिर वो एक गुमनाम थी
मैं बदनाम था
डोर फिर भी एक बंधी थी
कसूर निगाहों का ना था
बात दिल की क्योंकि
उसके गालों के तिल में थी
जुबाँ भी साथ दे ना पाती थी
बस तितलियों सी मंडराती
वो इस दिल जले को ओर जला जाती थी
खूबसूरती की वो मिशाल थी
फिर भी वो गुमनाम थी
क्योंकि घूँघट उसकी शान थी
पर इस दिल की गलियाँ
उसके इश्क में बदनाम थी
ओर वो इन खबरों से भी अनजान थी
आखिर वो एक गुमनाम थी
बहुत सुंदर, क्या कहने
ReplyDeleteमीडिया के भीतर की बुराई जाननी है, फिर तो जरूर पढिए ये लेख ।
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