जबसे तुमसे नजरे चार हुई
खुद से ये अनजान हुई
लुट गयी इनकी चंचल रोशनी
गुमशुम सी ये खामोश हुई
शरमों हया से झुकी हुई
ये तेरी गुलाम हुई
जबसे तुमसे नजरे चार हुई
खुद से ये अनजान हुई
खुद से ये अनजान हुई
लुट गयी इनकी चंचल रोशनी
गुमशुम सी ये खामोश हुई
शरमों हया से झुकी हुई
ये तेरी गुलाम हुई
जबसे तुमसे नजरे चार हुई
खुद से ये अनजान हुई
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