Wednesday, April 10, 2013

नजरे

नजरे इनायत हो अगर कुछ इस तरह

तुम महताब बन जाओ

मैं आफताब बन जाऊ

चाँदनी में मेरी

दीदार तेरा

गुलाब सा महका महका  हो

शरमो हया में लिपटी कोई अप्सरा

जैसे घूँघट में ओर लाजबाब हो

नजरे इनायत अगर कुछ इस तरह हो 

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