नजरे इनायत हो अगर कुछ इस तरह
तुम महताब बन जाओ
मैं आफताब बन जाऊ
चाँदनी में मेरी
दीदार तेरा
गुलाब सा महका महका हो
शरमो हया में लिपटी कोई अप्सरा
जैसे घूँघट में ओर लाजबाब हो
नजरे इनायत अगर कुछ इस तरह हो
तुम महताब बन जाओ
मैं आफताब बन जाऊ
चाँदनी में मेरी
दीदार तेरा
गुलाब सा महका महका हो
शरमो हया में लिपटी कोई अप्सरा
जैसे घूँघट में ओर लाजबाब हो
नजरे इनायत अगर कुछ इस तरह हो
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