Sunday, April 7, 2013

रागिनी का अग्निपथ

जिस्म तपे रूह जले

अग्निपथ चल ही जीवन निखरे

रागिनी

विजय पथ कर रहा तेरा आह्वान

कर बस में उछ्रंख्ल मन

समेट आंसुओ का सैलाब

इस रण भूमि का

जीत से कर आगाज

नंगे कदम अंगारों पे चल ही

देना होता है जिन्दगी का इम्तिहान

कर इतना हौसला बुलंद तू

कांटे भी बन जाए फूलों की राह

तपेगी तभी कनक बनेगी

जान पायेगी तभी कामयाबी का स्वाद

रागिनी

अभियान है ये खुद पे इतराने का

हर संजोये खाब्ब सच कर जाने का

कर जीत से नये जीवन का आगाज

अभिमान हो सबको तुम पे

फक्र से करे सभी तेरा सन्मान



 

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