मेरी जिन्दगी के किताब की
तुम वो कविता हो
बार बार पढ़ने को
दिल जिसे चाहता है
तेरे शब्दों की मिठास में
घुल जाने को जीवन चाहता है
प्रेरणा हो तुम इस जीवन की
रेखांकित की जिसने
पिता पुत्री के प्यार की भाषा
बन इस घर मंदिर की आशा
धन्य हो गया जीवन मेरा
पा तेरी जैसी गुणवती छाया
तुम वो कविता हो
बार बार पढ़ने को
दिल जिसे चाहता है
तेरे शब्दों की मिठास में
घुल जाने को जीवन चाहता है
प्रेरणा हो तुम इस जीवन की
रेखांकित की जिसने
पिता पुत्री के प्यार की भाषा
बन इस घर मंदिर की आशा
धन्य हो गया जीवन मेरा
पा तेरी जैसी गुणवती छाया
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