बातों के जज्बातों में जब बात चली
दो अजनबियों बीच दोस्ती की मिठास बड़ी
एक ही सफ़र के दोनों हमसफ़र
मिले जब अनजाने में
दोस्ती की चाह ओर बड़ी
उम्र की दहलीज ने
डाल रखी रिश्तों की बेड़ियाँ थी
पर सीमित दायरे की परिधि से भी
महक रही दोस्ती की मिठास थी
छोटे छोटे जज्बातों ने
रंग दी दोस्ती की हतेलियाँ थी
जो रच बस दिलों में
खिला रही थी दोस्ती की बहार नयी
दो अजनबियों बीच दोस्ती की मिठास बड़ी
एक ही सफ़र के दोनों हमसफ़र
मिले जब अनजाने में
दोस्ती की चाह ओर बड़ी
उम्र की दहलीज ने
डाल रखी रिश्तों की बेड़ियाँ थी
पर सीमित दायरे की परिधि से भी
महक रही दोस्ती की मिठास थी
छोटे छोटे जज्बातों ने
रंग दी दोस्ती की हतेलियाँ थी
जो रच बस दिलों में
खिला रही थी दोस्ती की बहार नयी
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