व्यस्त हूँ उलझा हूँ
जिन्दगी के नये पन्नों में खोया हूँ
उलट रहा हूँ पलट रहा हूँ
जीवन अंकुर इन पृष्ठों में टटोल रहा हूँ
समेट रहा हूँ सच्चे भावार्थ को
काव्य रचना बन संवर आये जीवन साख जो
बैठू कभी उदास जो
खोल पढ़ लू इस किताब को
खोल पढ़ लू इस किताब को
जिन्दगी के नये पन्नों में खोया हूँ
उलट रहा हूँ पलट रहा हूँ
जीवन अंकुर इन पृष्ठों में टटोल रहा हूँ
समेट रहा हूँ सच्चे भावार्थ को
काव्य रचना बन संवर आये जीवन साख जो
बैठू कभी उदास जो
खोल पढ़ लू इस किताब को
खोल पढ़ लू इस किताब को