खिल रही नये पौध में कपोल प्यारी
मिल रही रूह जीवन से
अंकुरित हो रही नयी फसल तरारी
जल बन अमृत लहू
सींच रही कण कण में जीवन सुधा निराली
भर रही नये रंग प्रकृति
आत्मचित कर रही कायनात की सृष्टि
मिल रही रूह जीवन से
अंकुरित हो रही नयी फसल तरारी
जल बन अमृत लहू
सींच रही कण कण में जीवन सुधा निराली
भर रही नये रंग प्रकृति
आत्मचित कर रही कायनात की सृष्टि
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