जितनी जुड़ने की कोशिश की
उतना ही टूटता गया
जाने कौन भँवर में फंस गया
वेग जमाने की लहरों का प्रचंड ऐसा
थपेड़े भी लगे थप्पड़ समान
कोलाहल में जैसे
गुम हो गयी चीत्कार कहीं
अनसुनी हो गयी गूंज कहीं
नजर ना आया जमाने को
आँखों का सागर कभी
जल समाधि ले ली चेतना ने
होके घायल तभी
उतना ही टूटता गया
जाने कौन भँवर में फंस गया
वेग जमाने की लहरों का प्रचंड ऐसा
थपेड़े भी लगे थप्पड़ समान
कोलाहल में जैसे
गुम हो गयी चीत्कार कहीं
अनसुनी हो गयी गूंज कहीं
नजर ना आया जमाने को
आँखों का सागर कभी
जल समाधि ले ली चेतना ने
होके घायल तभी
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