Tuesday, March 5, 2013

शिकायत

माँ

तुने बेटे बेटियों के लिए ममता क्यों है बांटी

यह शिकायत नहीं एक सवाल है

होते हुए भी तू नारी

चाहत बेटों की ही क्यों है

ऐसी भी क्या खता

बेटियाँ लगती तुमको भारी है

कन्या भ्रूण हत्या खिलाफ

आवाज़ बुलंद क्यों नहीं तुम्हारी है

ओ माँ तुम्हे मैं ऐ याद दिला दूँ

बेटे बेटियों में फर्क बतला दूँ

बेटी बेटी रहती मृत्यु तक

पुत्र पुत्र रहता शादी तक

भावना फिर क्यों तेरी ऐसी है

बस पुत्र कामना ही तेरी भक्ति है

सुन हमारी भी किलकारी की नाद

क्यों गम हो जाती तुम्हारी साँसों की झंकार

अब ओर करो ना हम पे अत्याचार

रख हमें भी अपनी करुणा की छावं

दे दो हमें भी जीने का अधिकार

दे दो हमें भी जीने का अधिकार

5 comments:


  1. दिनांक 07/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. माँ के लिए तो सभी बराबर होते हैं शायद ... पर कोई न कोई दबाव होता होगा जो उसे मजबूर करता होगा ...अच्छी रचना है ...

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