माँ
तुने बेटे बेटियों के लिए ममता क्यों है बांटी
यह शिकायत नहीं एक सवाल है
होते हुए भी तू नारी
चाहत बेटों की ही क्यों है
ऐसी भी क्या खता
बेटियाँ लगती तुमको भारी है
कन्या भ्रूण हत्या खिलाफ
आवाज़ बुलंद क्यों नहीं तुम्हारी है
ओ माँ तुम्हे मैं ऐ याद दिला दूँ
बेटे बेटियों में फर्क बतला दूँ
बेटी बेटी रहती मृत्यु तक
पुत्र पुत्र रहता शादी तक
भावना फिर क्यों तेरी ऐसी है
बस पुत्र कामना ही तेरी भक्ति है
सुन हमारी भी किलकारी की नाद
क्यों गम हो जाती तुम्हारी साँसों की झंकार
अब ओर करो ना हम पे अत्याचार
रख हमें भी अपनी करुणा की छावं
दे दो हमें भी जीने का अधिकार
दे दो हमें भी जीने का अधिकार
तुने बेटे बेटियों के लिए ममता क्यों है बांटी
यह शिकायत नहीं एक सवाल है
होते हुए भी तू नारी
चाहत बेटों की ही क्यों है
ऐसी भी क्या खता
बेटियाँ लगती तुमको भारी है
कन्या भ्रूण हत्या खिलाफ
आवाज़ बुलंद क्यों नहीं तुम्हारी है
ओ माँ तुम्हे मैं ऐ याद दिला दूँ
बेटे बेटियों में फर्क बतला दूँ
बेटी बेटी रहती मृत्यु तक
पुत्र पुत्र रहता शादी तक
भावना फिर क्यों तेरी ऐसी है
बस पुत्र कामना ही तेरी भक्ति है
सुन हमारी भी किलकारी की नाद
क्यों गम हो जाती तुम्हारी साँसों की झंकार
अब ओर करो ना हम पे अत्याचार
रख हमें भी अपनी करुणा की छावं
दे दो हमें भी जीने का अधिकार
दे दो हमें भी जीने का अधिकार
ReplyDeleteदिनांक 07/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
माँ के लिए तो सभी बराबर होते हैं शायद ... पर कोई न कोई दबाव होता होगा जो उसे मजबूर करता होगा ...अच्छी रचना है ...
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteTHANKS
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