वो नयनों की भाषा
ना जाने क्या कह गयी
ख़ामोशी से
इस दिल में
घर बना गयी
वो चंचल कामिनी सी काया
ना जाने क्या जादू चला गयी
रूह बन
इस जिस्म में समा गयी
वो चहकती नादानियाँ
ना जाने क्या गुल खिला गयी
धड़कन बन
इन साँसों में समा गयी
वो नयनों की भाषा
ना जाने क्या कह गयी
ना जाने क्या कह गयी
ख़ामोशी से
इस दिल में
घर बना गयी
वो चंचल कामिनी सी काया
ना जाने क्या जादू चला गयी
रूह बन
इस जिस्म में समा गयी
वो चहकती नादानियाँ
ना जाने क्या गुल खिला गयी
धड़कन बन
इन साँसों में समा गयी
वो नयनों की भाषा
ना जाने क्या कह गयी
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार26/2/13 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है
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