जिन्दगी हर पल मीठी होती है
पर कभी कभी बेमजा ये बेकार होती है
कुछ खट्ठी खट्टी कुछ मीठी मीठी होती है
हर पल ये एक नयी पहेली होती है
मिल बैठ जो ग़मों को बाँट ले
तो जिन्दगी फिर हर पल मीठी हो जाती है
दर्पण है ये जिंदगानी का
जैसे निहारों
अक्स वैसा दिखलाती है
सफ़र के हर पड़ाव में
सबक नया सिखलाती है
मिल बैठ जो ग़मों को बाँट ले
तो जिन्दगी फिर मीठी मीठी हो जाती है
पर कभी कभी बेमजा ये बेकार होती है
कुछ खट्ठी खट्टी कुछ मीठी मीठी होती है
हर पल ये एक नयी पहेली होती है
मिल बैठ जो ग़मों को बाँट ले
तो जिन्दगी फिर हर पल मीठी हो जाती है
दर्पण है ये जिंदगानी का
जैसे निहारों
अक्स वैसा दिखलाती है
सफ़र के हर पड़ाव में
सबक नया सिखलाती है
मिल बैठ जो ग़मों को बाँट ले
तो जिन्दगी फिर मीठी मीठी हो जाती है
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