Friday, January 25, 2013

माँ

माँ शब्द है ऐसा

सारी दुनिया जैसे घर उसका

कायनात और खुदा भी

नतमस्तक इसके आगे

वर्णन की ना जा सके जो शब्दों में

माँ होती वैसी है

अंकुर नया फ़्रस्फ़ुटीत जब होता है

प्राणी जन्म जब लेता है

पहला शब्द माँ ही उच्चारण करता है

माँ जननी इस धरा की

कल्पना अधूरी सृष्टि की इस बिना

है इसके ही चरणों में जन्नत की छाया

इसमें ही दिखे ईश्वर का साया

माँ शब्द में ही ममता की माया

माँ शब्द में ही छुपी माँ नाम की गाथा 

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