माँ शब्द है ऐसा
सारी दुनिया जैसे घर उसका
कायनात और खुदा भी
नतमस्तक इसके आगे
वर्णन की ना जा सके जो शब्दों में
माँ होती वैसी है
अंकुर नया फ़्रस्फ़ुटीत जब होता है
प्राणी जन्म जब लेता है
पहला शब्द माँ ही उच्चारण करता है
माँ जननी इस धरा की
कल्पना अधूरी सृष्टि की इस बिना
है इसके ही चरणों में जन्नत की छाया
इसमें ही दिखे ईश्वर का साया
माँ शब्द में ही ममता की माया
माँ शब्द में ही छुपी माँ नाम की गाथा
सारी दुनिया जैसे घर उसका
कायनात और खुदा भी
नतमस्तक इसके आगे
वर्णन की ना जा सके जो शब्दों में
माँ होती वैसी है
अंकुर नया फ़्रस्फ़ुटीत जब होता है
प्राणी जन्म जब लेता है
पहला शब्द माँ ही उच्चारण करता है
माँ जननी इस धरा की
कल्पना अधूरी सृष्टि की इस बिना
है इसके ही चरणों में जन्नत की छाया
इसमें ही दिखे ईश्वर का साया
माँ शब्द में ही ममता की माया
माँ शब्द में ही छुपी माँ नाम की गाथा
No comments:
Post a Comment