चुप रह वो कहते थे
पैगाम हमारा रास ना आया
आना था जिनको बहार बनके
हवाओं का वो वयार ना आया
जिक्र ना था हाले दिल ख़त में
संदेशा भी आधा अधुरा सा था
कर दिया नयनों ने सब वयां
ढाई आखर की मुराद जिन्हें
रास उन्हें कैसे फिर कोरा पैगाम था
अहसास हमें भी हो चला था
जाने कब बातों ही बातों
इस दिल को
उस अजनबी से प्यार हो गया था
पैगाम हमारा रास ना आया
आना था जिनको बहार बनके
हवाओं का वो वयार ना आया
जिक्र ना था हाले दिल ख़त में
संदेशा भी आधा अधुरा सा था
कर दिया नयनों ने सब वयां
ढाई आखर की मुराद जिन्हें
रास उन्हें कैसे फिर कोरा पैगाम था
अहसास हमें भी हो चला था
जाने कब बातों ही बातों
इस दिल को
उस अजनबी से प्यार हो गया था
क्या बात
ReplyDeleteबहुत सुंदर
Thanks sir
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