लड़ गयी दामिनी मौत से
पर हार गयी साँसों की डोर से
खामोश हो चिरनिंद्रा सो गयी
चिथड़ों में जिन्दगी
अलविदा कह गयी दामिनी
विजय जय घोष के साथ
रो उठा खुदा भी
देख दामिनी की अंतिम रण हुँकार
झुक गया आसमां
लज्जा गया सूरज का भी आफताब
व्यर्थ ना जाए दामिनी का यह बलिदान
आओ हम सब मिल प्रण करे ये आज
हर नारी को मिले गर्व से जीने का अधिकार
पर हार गयी साँसों की डोर से
खामोश हो चिरनिंद्रा सो गयी
चिथड़ों में जिन्दगी
अलविदा कह गयी दामिनी
विजय जय घोष के साथ
रो उठा खुदा भी
देख दामिनी की अंतिम रण हुँकार
झुक गया आसमां
लज्जा गया सूरज का भी आफताब
व्यर्थ ना जाए दामिनी का यह बलिदान
आओ हम सब मिल प्रण करे ये आज
हर नारी को मिले गर्व से जीने का अधिकार