बड़ी ही असमंजस की है ये बात
चलती है घटायें मेरे साथ भी
कुछ पल को ठहर जाऊ जो कहीं
रिम झिम बरस जाती है घटा वही
इसे महज ये इतेफाक कहूँ या संजोग
कुदरत की है पर ये अद्भुत देन
मरुभूमि की प्यासी धरती में भी
घुमड़ आती है घटाओं की छाया
जब पड़ते है चरण वहाँ
बदल जाती है वहाँ की साया
पर सच है यही
चलती है घटायें मेरे साथ भी
चलती है घटायें मेरे साथ भी
कुछ पल को ठहर जाऊ जो कहीं
रिम झिम बरस जाती है घटा वही
इसे महज ये इतेफाक कहूँ या संजोग
कुदरत की है पर ये अद्भुत देन
मरुभूमि की प्यासी धरती में भी
घुमड़ आती है घटाओं की छाया
जब पड़ते है चरण वहाँ
बदल जाती है वहाँ की साया
पर सच है यही
चलती है घटायें मेरे साथ भी
sundar abhivyakti मरुभूमि की प्यासी धरती में भी
ReplyDeleteघुमड़ आती है घटाओं की छाया
जब पड़ते है चरण वहाँ
बदल जाती है वहाँ की साया
पर सच है यही
चलती है घटायें मेरे साथ भी
Thanks mam
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