लड़ गयी दामिनी मौत से
पर हार गयी साँसों की डोर से
खामोश हो चिरनिंद्रा सो गयी
चिथड़ों में जिन्दगी
अलविदा कह गयी दामिनी
विजय जय घोष के साथ
रो उठा खुदा भी
देख दामिनी की अंतिम रण हुँकार
झुक गया आसमां
लज्जा गया सूरज का भी आफताब
व्यर्थ ना जाए दामिनी का यह बलिदान
आओ हम सब मिल प्रण करे ये आज
हर नारी को मिले गर्व से जीने का अधिकार
पर हार गयी साँसों की डोर से
खामोश हो चिरनिंद्रा सो गयी
चिथड़ों में जिन्दगी
अलविदा कह गयी दामिनी
विजय जय घोष के साथ
रो उठा खुदा भी
देख दामिनी की अंतिम रण हुँकार
झुक गया आसमां
लज्जा गया सूरज का भी आफताब
व्यर्थ ना जाए दामिनी का यह बलिदान
आओ हम सब मिल प्रण करे ये आज
हर नारी को मिले गर्व से जीने का अधिकार
samvedanshil prastuti लड़ गयी दामिनी मौत से
ReplyDeleteपर हार गयी साँसों की डोर से
खामोश हो चिरनिंद्रा सो गयी
चिथड़ों में जिन्दगी
अलविदा कह गयी दामिनी
This is my tribute to Damini .
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ReplyDeleteदिनांक 31/12/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
This is my tribute to Damini .
Deleteइसी कसम खाने की सबको जरूरत है. सुन्दर रचना.
ReplyDeleteThanks for your support .
Deleteबस एक ही शब्द .....श्रद्धांजलि उस दामिनी को
ReplyDeleteThanks mam for your suggestion .
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