मिले तुमसे कैसे
तुमने कभी पुकारा नहीं
चाहे तो चाहे तुम्हे कैसे
तुमने कभी चाहा नहीं
बिन तेरे जिये कैसे
जीना तुझे गंवारा नहीं
तुम जो बदल गए
हमें भी वो गंवारा नहीं
जिक्र किया तुमने जमाने का
अफसाना ये परवान चढ़ा नहीं
कैसे कहे तुमसे
इस बेदर्द जमाने को
प्यार की क़द्र है नहीं
मिले जो तुमसे तो
इजहार करे इश्क तुमसे
पर मिले कैसे
मिलना तुम्हे गंवारा नहीं
तुमने कभी पुकारा नहीं
चाहे तो चाहे तुम्हे कैसे
तुमने कभी चाहा नहीं
बिन तेरे जिये कैसे
जीना तुझे गंवारा नहीं
तुम जो बदल गए
हमें भी वो गंवारा नहीं
जिक्र किया तुमने जमाने का
अफसाना ये परवान चढ़ा नहीं
कैसे कहे तुमसे
इस बेदर्द जमाने को
प्यार की क़द्र है नहीं
मिले जो तुमसे तो
इजहार करे इश्क तुमसे
पर मिले कैसे
मिलना तुम्हे गंवारा नहीं
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 25/12/12 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है ।
ReplyDeleteThanks mam
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