सिसकती रही बेबस दामिनी
पर उन दरिंदो को जरा भी रहम ना आई
शर्मसार हो गयी सभ्यता सारी
छिन्न भिन्न हो गयी कायनात सारी
ढाये जालिमों ने ऐसे जुल्म
रूह शैतान की भी काँप गयी
बना अपनी हवस का शिकार
सरिया लोहे की खोख में उतार दी
फेंक दिया बीच राह नग्न कर
कुदरत भी लज्जा गयी
दिलाने इन्साफ अपने को
झुन्झ रही दामिनी मौत से
सुन उसकी आत्मा की अंतर्नाद
खुदा भी खुद खौफ जदा हो गयी
सुनो ये दुनियावालों
दामिनी है तुम्हे पुकार रही
रहनुमा ना बन सके
हमदर्द बन
इस रण में तुम भी शामिल हो जाओ
उसके इन्साफ के लिए
सरकार तो क्या
खुदा से भी तुम लड़ जाओ
कोई तो सच्चा मसीहा बन
ऐसी पुनरावृति से समाज को बचा लाओ
पर उन दरिंदो को जरा भी रहम ना आई
शर्मसार हो गयी सभ्यता सारी
छिन्न भिन्न हो गयी कायनात सारी
ढाये जालिमों ने ऐसे जुल्म
रूह शैतान की भी काँप गयी
बना अपनी हवस का शिकार
सरिया लोहे की खोख में उतार दी
फेंक दिया बीच राह नग्न कर
कुदरत भी लज्जा गयी
दिलाने इन्साफ अपने को
झुन्झ रही दामिनी मौत से
सुन उसकी आत्मा की अंतर्नाद
खुदा भी खुद खौफ जदा हो गयी
सुनो ये दुनियावालों
दामिनी है तुम्हे पुकार रही
रहनुमा ना बन सके
हमदर्द बन
इस रण में तुम भी शामिल हो जाओ
उसके इन्साफ के लिए
सरकार तो क्या
खुदा से भी तुम लड़ जाओ
कोई तो सच्चा मसीहा बन
ऐसी पुनरावृति से समाज को बचा लाओ
behad gambhir prastutiखुदा से भी तुम लड़ जाओ
ReplyDeleteकोई तो सच्चा मसीहा बन
ऐसी पुनरावृति से समाज को बचा लाओ
Thanks mam
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