निगाहें जाने क्यों शरमा जाती है
देख खूबसूरती को अदब से झुक जाती है
पलके बंद कर तारुफ़ वया कर जाती है
जो लफ्ज लव सहज कह ना पाए
आँखों ही आँखों में वो बात कह जाती है
अंदाज ये निगाहों का दिल में उतर
प्यार के परवान चढ़ जाती है
निगाहें जाने क्यों शरमा जाती है
देख खूबसूरती को अदब से झुक जाती है
पलके बंद कर तारुफ़ वया कर जाती है
जो लफ्ज लव सहज कह ना पाए
आँखों ही आँखों में वो बात कह जाती है
अंदाज ये निगाहों का दिल में उतर
प्यार के परवान चढ़ जाती है
निगाहें जाने क्यों शरमा जाती है
sundar prastuti
ReplyDeleteThanks a lot mam for your support but sorry for late reply .
ReplyDelete