हर दिन के साथ
गुजर गयी एक आस
कर रहे इन्तजार जिनका
अधूरी रह गयी वो आस
सिलसिला ये दर्दवाला
जीने की राह बन गयी
निगाहों को चैन कहा
जरे जरे में
उनकी तलाश शुरू कर दी
ओर समझा दी
धडकनों को भी ये बात
जब तलक पूरी नहीं हो जाती आस
निकलने न देंगे
इस तन से प्राण
गुजर गयी एक आस
कर रहे इन्तजार जिनका
अधूरी रह गयी वो आस
सिलसिला ये दर्दवाला
जीने की राह बन गयी
निगाहों को चैन कहा
जरे जरे में
उनकी तलाश शुरू कर दी
ओर समझा दी
धडकनों को भी ये बात
जब तलक पूरी नहीं हो जाती आस
निकलने न देंगे
इस तन से प्राण
No comments:
Post a Comment